
Wednesday, December 3, 2008
Wednesday, September 24, 2008
चलिए आज हिमालय की वादियों में




अनुपम मनोहारी प्रकृति ,उसी का एक भाग हिमालय गर्वोन्नत शिखरों, श्वेत धवल हिमनदों ,कल-कल बहती धाराओं और प्रकृति की बहुत से उपहारों से समृद्ध । हम भी कुछ दिन पहले इन्ही वादियों में थे। उद्देश्य तो था पर्वत चोटियों पर विजय पाना, जो कि स्वयं पर विजय पाने का ही दूसरा नाम है,परन्तु इसके साथ हमने धार्मिक यात्रा भी की । पर्वतारोहन के अनुभव ,धार्मिक यात्रा , पर्वतीय समाज और बहुत सारीबातें है बटने को ,पर वो सब बातें बाद में, फुर्सत के क्षणों में । आज तो सिर्फ़ कुछ तस्वीरें प्रेषित कर रहा हूँ क्योकि कहते हैं एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती हैं। ....अरे ,यह तो बताना भूल ही गया कि कहां की तस्वीरें हैं ?ये उत्तराखंड में गढ़वाल-कुमाऊँ हिमालय क्षेत्र की भारत-चीन सीमा क्षेत्र कीं तस्वीरें हैं .तो देखिये ......
Friday, March 14, 2008
पीं. एम का आगमन-बनारस की जनता की शामत
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के B.H.U.के दीक्षांत समारोह में आने के कारन इन दिनों बनारस में सुरक्षा प्रबंध ने लोगो का जीना मुहाल कर दिया है। आधे शहर की सड़कें बंद कर दी गई है ,लोगो और छात्रों से दो-तीन दिनों से बदसलूकी आम बात है।बनारस की जीवंतता पर मनो ग्रहण लग गया है .
प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर एयरपोर्ट से लगायत बीएचयू से ज्ञानवापी तक के इलाके को अभेद्य किले में तब्दील किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के काफिले को जिस रास्ते से गुजरना है उसके चप्पे-चप्पे पर फोर्स लगा दी गई है। रास्ते में पड़नेवाले सभी चौराहों पर सुरक्षा कमान डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी संभाल रहे हैं। गंगा आरती देखने के प्रोग्राम के कारन आम लोग और सैलानियों को घाटों से भगाया जा रहा है .घाटों की बनारसी संस्कृति को ध्वस्त कर उसे छावनी बना दिया गया है।३ बजे से ९ बजे तक यातायात रोकने से बोर्ड परीक्षार्थियों को भयानक दिक्कत होगी।
क्या एक लोकतंत्र में शासक की सुरक्षा पर इतना खर्च(५ करोर)तथा लोगो की इतनी परेशानी ठीक है? क्या शासकों को जनता की परेशानी के बारे में नही सोचना चाहिए ? अगर इनलोगों के आने पर लोगो को इतनी यातनाएँ झेलनी पड़े तो इन्हे कहीं नही जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर एयरपोर्ट से लगायत बीएचयू से ज्ञानवापी तक के इलाके को अभेद्य किले में तब्दील किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के काफिले को जिस रास्ते से गुजरना है उसके चप्पे-चप्पे पर फोर्स लगा दी गई है। रास्ते में पड़नेवाले सभी चौराहों पर सुरक्षा कमान डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी संभाल रहे हैं। गंगा आरती देखने के प्रोग्राम के कारन आम लोग और सैलानियों को घाटों से भगाया जा रहा है .घाटों की बनारसी संस्कृति को ध्वस्त कर उसे छावनी बना दिया गया है।३ बजे से ९ बजे तक यातायात रोकने से बोर्ड परीक्षार्थियों को भयानक दिक्कत होगी।
क्या एक लोकतंत्र में शासक की सुरक्षा पर इतना खर्च(५ करोर)तथा लोगो की इतनी परेशानी ठीक है? क्या शासकों को जनता की परेशानी के बारे में नही सोचना चाहिए ? अगर इनलोगों के आने पर लोगो को इतनी यातनाएँ झेलनी पड़े तो इन्हे कहीं नही जाना चाहिए।
Thursday, February 14, 2008
भारतवंशी परिवार आन्दोलन
अभी पिछले २६ जनवरी को राजीव श्रीवास्तव के संस्था विशाल भारत संस्थान गया था.उन्होने उस दिन एक नया सामाजिक रास्ट्रीय आन्दोलन शुरु किया है भारतवंशी परिवार आन्दोलन । इसकी सुरुआत १०० लोगो से ऊपर लोगो ने इसकी शपथ लेकर की। इसका उद्देश्य है कि जति -धर्म से ऊपर उठकर पहले सभी सिर्फ़ भारतवंशी रहे। कई हिंदू और मुसलमानों ने भारतवंशी परिवार मी जुड़ने कि शपथ वाराणसी के भारत माता मन्दिर में ली। इसके सदस्य अपने सामाजिक जीवन मे भारतवंशी टाइटल का ही प्रयोग करेंगेजैसे राजीव श्रीवास्तव हो गएँ राजीव भारतवंशी।
वस्तुतः, राजीव भारतवंशी पिछले १७ सालों से रास्ट्रीय एकता और सामाजिक उत्थान के लिए कम कर रहे हैं। अभी कुछ सालों से वे लाल्लापुर के मुस्लिम बस्ती में काम कर रहें हैं। वहाँ वे बुनकरों और कूड़े चुनने वाले बच्चो के लिए स्कूल चला रहें हैं तथा मुस्लिमों मे रास्ट्रीय भावना बढ़ने के लिए काम कर रहें हैं.इन वर्षों मे उन्होने अनुभव किया कि हमारे एकता कि सबसे बड़ी बाधा हमारा पहले हिंदू या मुस्लमान होना है, इसलिए उन्होने एक भारतवंशी परिवार कि कल्पना की जहाँ सब पहले सिर्फ़ भारतवंशी हो ।उन्ही की संस्थान की एक लड़की नाजमीन ने हनुमान चालीसा का उर्दू मे अनुवाद किया था ।
इस आन्दोलन पर आपकी राय का स्वागत है और यदि सुझाव हो तो और अच्छी बात है ,आप भी इससे जुड़ सकते हैं .इस आन्दोलन और इन सबसे जुड़ी और बातें आगली पोस्ट में। जय हिंद
-दर्शन भारतवंशी
वस्तुतः, राजीव भारतवंशी पिछले १७ सालों से रास्ट्रीय एकता और सामाजिक उत्थान के लिए कम कर रहे हैं। अभी कुछ सालों से वे लाल्लापुर के मुस्लिम बस्ती में काम कर रहें हैं। वहाँ वे बुनकरों और कूड़े चुनने वाले बच्चो के लिए स्कूल चला रहें हैं तथा मुस्लिमों मे रास्ट्रीय भावना बढ़ने के लिए काम कर रहें हैं.इन वर्षों मे उन्होने अनुभव किया कि हमारे एकता कि सबसे बड़ी बाधा हमारा पहले हिंदू या मुस्लमान होना है, इसलिए उन्होने एक भारतवंशी परिवार कि कल्पना की जहाँ सब पहले सिर्फ़ भारतवंशी हो ।उन्ही की संस्थान की एक लड़की नाजमीन ने हनुमान चालीसा का उर्दू मे अनुवाद किया था ।
इस आन्दोलन पर आपकी राय का स्वागत है और यदि सुझाव हो तो और अच्छी बात है ,आप भी इससे जुड़ सकते हैं .इस आन्दोलन और इन सबसे जुड़ी और बातें आगली पोस्ट में। जय हिंद
-दर्शन भारतवंशी
Thursday, January 10, 2008
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