Saturday, June 13, 2015

Nano कहानी #2
समय बदल रहा था और बनारस के घाट भी । शाम के धुंधलके में हम अस्सी की ओर लौट रहे थें । कुछ जोड़े अँधेरी सीढ़ियों पर चुम्बन में व्यस्त थें । उसने मुँह बनाते हुए कहा कि,
"देखो, कितने गंदे couple हैं ।"
मुझे याद आया कि कल ही तो उसने कहा था कि,
"मैं भी कितनी बड़ी dumbo हूँ , इतने सारे रिलेशनशिप में रही, पर ठीक से किस तक नहीं कर पायी ।"
मैं बस मुस्कुराया ।
(वैधानिक घोषणा : इन 'Nano कहानियों के सभी पात्र, स्थान एवं घटनाएँ काल्पनिक हैं । इनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है । यदि ऐसा होता है तो इसे मात्र एक संयोग माना जायेगा ।:p )


Nano कहानी #1
तुलसी घाट की सीढ़ियों पर बैठकर हम कही-अनकही बतिया रहे थे । अचानक मैंने उससे कहा कि,
" मैं तो तुमसे शादी भी नहीं कर सकता क्योकि तुम कहती हो कि तुम अपनी जाति में ही शादी कर सकती हो।"
उसने भाव पूर्ण आँखों से मेरी ओर एकटक देखते हुए कहा कि,
"क्या तुम्हारी माँ इसके लिए मानेंगी ?"
दोनों के पास सिर्फ प्रश्न थे ।
(NOTE : Nano कहानी : कभी-कभी कुछ ही पंक्तियाँ सम्यक और सम्पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए काफी होती है । Nano कहानियाँ यही चंद पंक्तियाँ हैं जो 'कुछ अनकही' कहना चाहती हैं ।ये Nano कहानियाँ मेरी भी हैं और आपकी भी । इस श्रृंखला की पहली Nano कहानी आपके सामने प्रस्तुत है । सुझावों का हार्दिक स्वागत है ।)
वैधानिक घोषणा : इन 'Nano कहानियों के सभी पात्र, स्थान एवं घटनाएँ काल्पनिक हैं । इनका वास्तविकता से कोई सम्बन्ध नहीं है । यदि ऐसा होता है तो इसे मात्र एक संयोग माना जायेगा ।:p
‪#‎लप्रेक‬ ‪#‎Nanoकहानी‬

Monday, June 1, 2009

आज बनारस के बारे में लिख रहा हूँ.................बहुत दिनों से इच्छा थी नेट पर बनारस के बारे में चर्चा शुरू करने की ,मौका अब मिला है.....................इस पोस्ट में मैं सिर्फ़ आग्रह कर रहा हूँ बनारस से जुड़े अपने अनुभव बाँटने का ............क्योकि बनारस को मैंने सिर्फ़ अनुभव किया है । पता नही क्यों पहले दिन जब मैं पहली बार यहाँ आया था उसी दिन से एक अपनापा हो गया है .आगे आपके विचारो के बाद मेरे विचार ..................................

Wednesday, December 3, 2008

शपथ

















आज हम भारतीयों को जाति,धर्म,क्षेत्र आदि से ऊपर उठकर सर्वप्रथम भारतीय बनना होगा,मैं इस शपथ को मन ,कर्म,वचन से अंगीकार करता हूँ आप भी यह प्रण करें।




दिनेशराय द्विवेदी जी द्वारा प्रेरित !







Wednesday, September 24, 2008

चलिए आज हिमालय की वादियों में



































अनुपम मनोहारी प्रकृति ,उसी का एक भाग हिमालय गर्वोन्नत शिखरों, श्वेत धवल हिमनदों ,कल-कल बहती धाराओं और प्रकृति की बहुत से उपहारों से समृद्ध । हम भी कुछ दिन पहले इन्ही वादियों में थे। उद्देश्य तो था पर्वत चोटियों पर विजय पाना, जो कि स्वयं पर विजय पाने का ही दूसरा नाम है,परन्तु इसके साथ हमने धार्मिक यात्रा भी की । पर्वतारोहन के अनुभव ,धार्मिक यात्रा , पर्वतीय समाज और बहुत सारीबातें है बटने को ,पर वो सब बातें बाद में, फुर्सत के क्षणों में । आज तो सिर्फ़ कुछ तस्वीरें प्रेषित कर रहा हूँ क्योकि कहते हैं एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर होती हैं। ....अरे ,यह तो बताना भूल ही गया कि कहां की तस्वीरें हैं ?ये उत्तराखंड में गढ़वाल-कुमाऊँ हिमालय क्षेत्र की भारत-चीन सीमा क्षेत्र कीं तस्वीरें हैं .तो देखिये ......















Friday, March 14, 2008

पीं. एम का आगमन-बनारस की जनता की शामत

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के B.H.U.के दीक्षांत समारोह में आने के कारन इन दिनों बनारस में सुरक्षा प्रबंध ने लोगो का जीना मुहाल कर दिया है। आधे शहर की सड़कें बंद कर दी गई है ,लोगो और छात्रों से दो-तीन दिनों से बदसलूकी आम बात है।बनारस की जीवंतता पर मनो ग्रहण लग गया है .
प्रधानमंत्री के दौरे के मद्देनजर एयरपोर्ट से लगायत बीएचयू से ज्ञानवापी तक के इलाके को अभेद्य किले में तब्दील किया जा रहा है। प्रधानमंत्री के काफिले को जिस रास्ते से गुजरना है उसके चप्पे-चप्पे पर फोर्स लगा दी गई है। रास्ते में पड़नेवाले सभी चौराहों पर सुरक्षा कमान डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी संभाल रहे हैं। गंगा आरती देखने के प्रोग्राम के कारन आम लोग और सैलानियों को घाटों से भगाया जा रहा है .घाटों की बनारसी संस्कृति को ध्वस्त कर उसे छावनी बना दिया गया है।३ बजे से ९ बजे तक यातायात रोकने से बोर्ड परीक्षार्थियों को भयानक दिक्कत होगी।
क्या एक लोकतंत्र में शासक की सुरक्षा पर इतना खर्च(५ करोर)तथा लोगो की इतनी परेशानी ठीक है? क्या शासकों को जनता की परेशानी के बारे में नही सोचना चाहिए ? अगर इनलोगों के आने पर लोगो को इतनी यातनाएँ झेलनी पड़े तो इन्हे कहीं नही जाना चाहिए।

Thursday, February 14, 2008

भारतवंशी परिवार आन्दोलन

अभी पिछले २६ जनवरी को राजीव श्रीवास्तव के संस्था विशाल भारत संस्थान गया था.उन्होने उस दिन एक नया सामाजिक रास्ट्रीय आन्दोलन शुरु किया है भारतवंशी परिवार आन्दोलन । इसकी सुरुआत १०० लोगो से ऊपर लोगो ने इसकी शपथ लेकर की। इसका उद्देश्य है कि जति -धर्म से ऊपर उठकर पहले सभी सिर्फ़ भारतवंशी रहे। कई हिंदू और मुसलमानों ने भारतवंशी परिवार मी जुड़ने कि शपथ वाराणसी के भारत माता मन्दिर में ली। इसके सदस्य अपने सामाजिक जीवन मे भारतवंशी टाइटल का ही प्रयोग करेंगेजैसे राजीव श्रीवास्तव हो गएँ राजीव भारतवंशी।
वस्तुतः, राजीव भारतवंशी पिछले १७ सालों से रास्ट्रीय एकता और सामाजिक उत्थान के लिए कम कर रहे हैं। अभी कुछ सालों से वे लाल्लापुर के मुस्लिम बस्ती में काम कर रहें हैं। वहाँ वे बुनकरों और कूड़े चुनने वाले बच्चो के लिए स्कूल चला रहें हैं तथा मुस्लिमों मे रास्ट्रीय भावना बढ़ने के लिए काम कर रहें हैं.इन वर्षों मे उन्होने अनुभव किया कि हमारे एकता कि सबसे बड़ी बाधा हमारा पहले हिंदू या मुस्लमान होना है, इसलिए उन्होने एक भारतवंशी परिवार कि कल्पना की जहाँ सब पहले सिर्फ़ भारतवंशी हो ।उन्ही की संस्थान की एक लड़की नाजमीन ने हनुमान चालीसा का उर्दू मे अनुवाद किया था ।
इस आन्दोलन पर आपकी राय का स्वागत है और यदि सुझाव हो तो और अच्छी बात है ,आप भी इससे जुड़ सकते हैं .इस आन्दोलन और इन सबसे जुड़ी और बातें आगली पोस्ट में। जय हिंद
-दर्शन भारतवंशी