Tuesday, November 27, 2007

हिन्दी ब्लोग्स में और क्या क्या करें हम

हिन्दी ब्लोग्स के शुरुवात के बाद से इधर कुछ समय से ब्लोगों की संख्या में तेज़ी से वृद्धि हुई है । परन्तु हममे से अधिकांश अपनी उर्जा वामपंथी-दक्षिणपंथी बहस और चर्चाओं में ही लगा रहें है । कुछ लोग साहित्यिक रचनाएँ भी कर रहें हैं पर ये बहुत कम है। इंग्लिश और अन्य भाषाओं में बहुत सारी रचनाओ का सारांश या अनुवाद या रचना ही आपको ब्लोग्स पर मिल जायेगी। हिन्दी में अभी ये प्रवृति नहीं के बराबर है। आलोचना का भी या कहें समालोचना का भी आभाव है ।
हिन्दी ब्लोग्स का एक और उपयोग हम आंखो देखी घटनाओ और वास्तविक स्थिति को भी लोगो तक पहुचाने के लिए कर सकते है।
और भी बहुत सारे उपयोग आपकी नजर में भी होंगे ,उनपर भी ध्यान दे तो हिन्दी ब्लोग में और समृधि आएगी। .............................................
................................................संख्या बढ़ने के साथ-साथ रचनाओ में विविधता और गुणवत्ता भी आनी चाहिए।

3 comments:

G Vishwanath said...

थोड़ा और समय लगेगा और हमें इन्तज़ार करना होगा।
हिन्दी में बहुत से लोग अच्छी तरह लिख सकते हैं लेकिन कम्प्यूटर पर कैसे देवनागरी में टाइप किया जाता है, यह बहुत लोग अब भी नहीं जनते।

बुजुर्ग लोग, जो अनुभवी हैं और अच्छा लिख भी सकते हैं, दुर्भाग्य से, कम्प्यूटर और जालजगत से डरकर दूर रह रहे हैं।

किसी तरह उन लोगों का हिन्दी में चिट्ठाकारी और हिन्दी जालजगत से इस परिचय कराना होगा।

unicode और transliteration दिन ब दिन लोकप्रिय होता जा रहा है।
मैं आशा करता हूँ साल दो साल में स्तिथि सुधर जाएगी।

G विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु

darshan said...

विश्वनाथ जी आपनॆ सही कहा ,परन्तु हम प्रयास तॊ कर सकतॆ है.

darshan said...

विश्वनाथ जी आपनॆ सही कहा ,परन्तु हम प्रयास तॊ कर सकतॆ है.